Cow-based medicine
गौआधारित चिकित्सा
गौशाला के माध्यम से मानव जीवन में पंचगव्य आधारित चिकित्सा विज्ञान के महत्व से परिचित कराया गया। और समय समय पर पंचगव्य चिकित्सा शिविर एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
गौ आधारित चिकित्सा एक प्राचीन आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है, जो गाय से प्राप्त विभिन्न उत्पादों का उपयोग करके रोगों का उपचार करती है। इसे 'पंचगव्य चिकित्सा' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें भारतीय देशी गौमाता के पाँच उत्पादों का इस्तेमाल होता है: दूध, दही, घी, गोमूत्र, और गोबर इनका उपयोग आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में किया जाता है, और इसे स्वास्थ्य लाभों के लिए मान्यता दी गई है।
गौ आधारित चिकित्सा में निम्नलिखित घटकों का उपयोग होता है:
1. गौ दुग्ध (गाय का दूध):
गाय का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों जैसे कि उच्च रक्तचाप, थकान, और मानसिक तनाव में किया जाता है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
4. गोमूत्र:
यह आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रसिद्ध है और इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण होते हैं। इसे शरीर से विषाक्त तत्वों को निकालने, पाचन सुधारने और मूत्र संबंधी रोगों में लाभकारी माना गया है।
2. गौ दधि (गाय का दही):
पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है और यह प्रोबायोटिक्स का अच्छा स्रोत है, जो आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
5. गोबर:
इसका उपयोग त्वचा के रोगों के उपचार में किया जाता है और इसे पर्यावरणीय स्वच्छता और कीट नियंत्रण में भी उपयोगी माना जाता है।
3. गौ घृत (गाय का घी):
गाय का घी तंत्रिका तंत्र को मज़बूती देता है और पाचन में सुधार करता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मज़बूत बनाता है और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है।
गौ आधारित चिकित्सा के लाभ:
लम्पी निवारण हेतु गौशाला द्वारा किये गए सेवा कार्य:
लंपी काल में गौशाला वमासा द्वारा समस्त वागड अंचल में लंपी प्रभावित 51,000 गौवंशो का निः शुल्क उपचार किया । जिसमें लंपी प्रभावित गौमाताओं के इलाज हेतु निम्न कार्य किये गए ।