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गोस्तु मात्रा न विद्यते- गाय के समान संसार में कोई माँ नही हो सकती। गाय जीवनी शक्ति का स्रोत है। गाय अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त विष का शमन करने की औषधि है। गाय देव एवं ऋषि प्राणों की पोषक है। गाय धर्म की अधिष्ठात्री है। ऐसी परम पवित्र सर्वहितैषणी पूज्या गौमाता एवं उनका वंश आज आसुरी प्रवृत्ति से ग्रस्त विषयलोलुप हृदयविहीन मानवाकार दानवों की अवैध कामनाओं का शिकार हो रहा है।


अपुष्ट सूचना के आधार पर प्रतिवर्ष भारत की धर्मधरा पर डेढ़ करोड़ गोवंश की कत्लखानों में निर्ममता एवं क्रूरतापूर्वक हत्या हो रही है, इतना ही गोवंश निराश्रित एवं उपेक्षापूर्वक छोड़ दिया जाता है। इस तरह प्रतिवर्ष 3 करोड़ गोवंश की क्षति होती है। यह इस राष्ट्र पर गोहत्या के महापाप का विनाशकारी कलंक है। इसे मिटाना होगा।

सज्जनों! प्राकृतिक विज्ञान के अनुसार एक गौमाता एक लाख प्राणियों को पोषाहार देने में समर्थ है क्योंकि गाय प्राणपोषक तत्वों तथा प्राणशोधक तत्वों का प्रचुर मात्रा में निष्पादन करती है। एक गौमाता की निर्ममतापूर्वक हत्या करने से समाज,राष्ट्र एवं संसार की इतनी भयंकर क्षति होती है जिसकी पूर्ति गोसेवा के अतिरिक्त और किसी भी साधन से सम्भव नहीं है। इसी कारण गोहत्या को महापाप माना गया है। गाय सृष्टि की पोषक एवं संवर्धक होने से उसे पूज्या माता का स्थान अपौरुषेय वेदों एवं भारतीय संस्कृति में प्रदान किया गया है।

श्री राधाकृष्ण गौशाला समिति वमासा की नीव 9 फरवरी 2012 को श्री श्री 1008 श्री महामंडलेश्वर अनंत विभूषित श्री ईश्वारानंदजी ब्रह्मचारी प. पू. गुरुदेव ध्यानयोगी उत्तम स्वामी जी महाराज द्वारा रखी गई एवं गौशाला विधिवत 2013 प्रारंभ हुई

वागड प्रसिद्ध श्री राधाकृष्ण गौशाला समिति वमासा जहा अनाथ, बेसहारा, एवं दुर्घटना ग्रसित गौवंशों को आश्रय प्रदान किया जाता हैं।

वमासा गांव वागड़ की जीवन रेखा माही नदी के किनारे पर डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिले की सीमा पर सागवाड़ा तहसील में हैं

धेनु: सदनं रचयत्यनन्तं महिषो देवे मखषु प्रयुक्त:।
अन्नं हि धेनुर्वसु नो ददातु, तदस्मान् मा क्षुध्यतु पिप्रियातम्॥
अर्थात: गाय हमारे लिए अनन्त संपत्ति का घर है। वह हमारे लिए भोजन, दूध, और जीवन की आवश्यक वस्तुएँ प्रदान करती है। अतः गाय की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

उक्त श्लोक के अनुसार कर्तव्यपूर्ण गौशाला वमासा द्वारा अब तक 700 गौवंशो को कत्लखाना जाने से बचाया।
गौशाला वामसा द्वारा गांव गांव में गौसेवा हेतु टोलियों का गठन किया उसी के माध्यम से आज समस्त वागड़ क्षेत्र गौसेवा व गौरक्षा हेतु अग्रसर हैं।

वमासा गौशाला द्वारा अब तक 5 वृहत कथाओं का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया व जिससे वागड़ अंचल में गौमाता के प्रति श्रद्धा, सामाजिक समरसता का जागरण हुआ व गौ माता की बहूपयोगिताओ की जानकारी मिली।

वर्तमान में 250+ अनाथ, बेसहारा, और दुर्गटना ग्रसित गौवंश गौशाला वमासा में सेवा प्राप्त कर रहे है|